भोपाल। MP Registry :प्रदेश में साइबर तहसील प्रणाली लागू होने के बाद अब जमीनों की खरीद फरोख्त की संभावना बेहद कम हो गई है। साथ ही अब रजिस्ट्री के 15 दिन के भीतर नामांतरण की प्रक्रिया भी स्वत: हो जाएगी। हालांकि स्वत: नामांतरण की व्यवस्था पूरे खसरा नंबर की बिक्री पर ही है। कुछ हिस्सा बेचने पर स्वत: नामांतरण की प्र्रक्रिया में अभी अड़चन है। हालांकि निकट भविष्य में तकनीक के जरिए इसमें भी सुधार हो जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशानुसार अब प्रदेश में राजस्व प्रकरणों का निराकरण अत्यंत कम समय में हो जाएगा। भू अभिलेखों में अमल के बाद भू-अभिलेखों एवं आदेश की सत्यापित प्रतिलिपि सम्बंधित पक्षकार को मिल सकेगी। अब अनावश्यक रूप से लंबित रहने वाले प्रकरणों का तकनीकी सहायता से कम समय में गुणवत्तापूर्ण निराकरण हो सकेगा। साइबर तहसीलों में औसत 15 से 17 दिनों का समय लग रहा है जो मैन्युअल प्रक्रिया में लगने वाले 60 दिनों की तुलना में महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
हर साल होते हैं 14 लाख नामांतरण
प्रदेश में हर साल नामांतरण के लगभग 14 लाख प्रकरण पंजीबद्ध होते हैं। इसमें से विक्रय विलेखों के निष्पादन के बाद नामांतरण के लिए दर्ज होने वाले प्रकरणों की संख्या लगभग 8 लाख रहती है। इसमें संपूर्ण खसरा के क्रय विक्रय से संबंधित लगभग 2 लाख अविवादित नामांतरण प्रकरण पंजीबद्ध किये जाते हैं। इस प्रकार के प्रकरणों में 15 दिन की समय सीमा में बिना आवेदन दिए, पेपरलेस, फ़ेसलेस और ऑनलाइन नामांतरण और भू अभिलेख अद्यतन करने के लिए साइबर तहसील स्थापित की गयी है। इस प्रकार संपूर्ण खसरा के क्रय विक्रय से संबंधित 2 लाख नामांतरण प्रकरणों का निराकरण साइबर तहसीलों से किया जा सकता है। इस प्रकार के प्रकरणों में त्वरित नामांतरण के अलावा भू-अभिलेख अपडेट होगा। क्षेत्रीय तहसील स्तर पर अविवादित प्रकरणों के निराकरण का भार कम होगा। साइबर तहसील की व्यवस्था के लिए राजस्व विभाग द्वारा मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 में संशोधन कर धारा 13-क में साइबर तहसील के प्रावधान किए गए हैं। साइबर तहसील परियोजना की शुरुआत 01 जून 2022 से जिला सीहोर और दतिया में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में हुई। यह परियोजना राज्य के 12 जिलों – दतिया, सीहोर, इंदौर, सागर, डिण्डौरी, हरदा, ग्वालियर, आगर मालवा, श्योपुर, बैतूल, विदिशा, एवं उमरिया में की जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देश अनुसार अब साइबर तहसील की व्यवस्था सभी जिलों में लागू हो रही है।
साइबर तहसील से ऐसे होगा काम
साइबर तहसील में पंजीयन से नामांतरण तक की प्रकिया लागू कर दी गई है। साइबर तहसील को 4 अलग-अलग प्लेटफार्मों जैसे संपदा पोर्टल, भूलेख पोर्टल, राजस्व प्रकरण प्रबंधन व्यवस्था के पोर्टल से जोड़ दिया गया है।
ऐसे प्रकरणों का होगा निराकरण
संपूर्ण खसरा, जिसे विभाजित नहीं किया गया एवं ऐसी जमीन जो किसी प्रकार से गिरवी या बंधक ना रखी गई हो। पोर्टल पर पंजीयन करने के बाद और रजिस्ट्री के बाद रेवेन्यू पोर्टल पर स्वत केस दर्ज हो जाएगा। इसके बाद सायबर तहसीलदार द्वारा जाँच की जाएगी। सूचना के बाद इश्तेहार एवं पटवारी रिपोर्ट के लिए मेमो जारी किया जाएगा। इसके बाद आदेश पारित कर भू-अभिलेख को अपडेट किया जाएगा। दस दिन बाद दावा आपति प्राप्त नही होने पर ई मेल एवं वाट्सअप से आदेश दिए जायेंगे।