शासन-प्रशासन की सख्ती के बावजुद मप्र में सूदखोरी का मकडज़ाल बढ़ता (Loan Trap In MP)ही जा रहा है। ब्याज पर पैसा देने वाले सूदखोर पैसा वसूलने गुर्गों की मदद से कर्जदारों को धमका रहे हैं। इनसे परेशान लोग प्रापर्टी बेचकर पैसा चुकाते हैं, फिर भी सूदखोरों की वसूली खत्म नहीं होती। इस कारोबार से जुड़े लोगों से बातचीत में राजफाश हुआ कि हर महीने ब्याज पर 750 करोड़ रुपए बाजार में खप रहा है। राजधानी भोपाल में भी सूदखोरों का जाल फैला हुआ है। ब्याज पर पैसा देने वालों के लिए साहूकारी लाइसेंस अनिवार्य किया गया है, लेकिन 90 प्रतिशत लोगों के पास लाइसेंस नहीं है। जिम्मेदार अफसर लाइसेंस बनाने की सुध नहीं ले रहे हैं।
मप्र में शहर से लेकर देहात तक सूदखोरों का नेटवर्क फैला हुआ है। हाल यह है कि शहर के आर्थिक स्थिति से तंग जरूरत मंद लोग कर्ज में गड़ते चले जा रहे हैं। घर गृहस्थी का सामान तक बेचने को मजबूर हैं। गांव के किसान फसल बेचकर कर्र्ज चुका रहे हैं, लेकिन सूदखोरों का ब्याज खत्म नहीं हो रहा है। शहर में इस तरह के एक नहीं कई मामले हैं। कई मामलों में पुलिस-प्रशासन के पास पीडि़तों ने सूदखोरों से बचाने की गुहार तक लगाई है।
10 से 20 प्रतिशत महीने का लेते हैं ब्याज
कारोबार करने के लिए कम ब्याज पर पैसे देने का झांसा देकर चंगुल में फंसाने के बाद सूदखोर 10 से 20 प्रतिशत तक ब्याज वसूल रहे हैं। पैसा नहीं देने वालों से पावर के दम पर पैसा वसूले जा रहे हैं। कर्जदारों को इस कदर परेशान किया जाता है कि वे घर से भाग जाते हैं। इनमें ज्यादातर अवैध रूप से सूदखोरी का धंधा कर रहे हैं। इनके चंगुल में फंसे कुछ लोग तो ऐसे हैं, जिन पर इस कदर ब्याज चढ़ गया है कि अब उसे चुकाना उनके लिए मुश्किल है।
“ब्याज का व्यापार अवैध तरीके से कर रहे
भोपाल में अवैध रूप से यह सूदखोरी का धंधा करने वालों की संख्या हजारों में है। जिनका सूदखोरी का धंधा बेरोकटोक चल रहा है। सूदखोरों के चंगुल में फंसने के बाद कम ही कर्जदार उनके जंजाल से बाहर आ पाते हैं। कर्जदारों से मिली जानकारी के अनुसार, सूदखोर जिनको ब्याज में पैसे देते हैं। उनके एटीएम और पासबुक अपने पास रख लेते हैं। एटीएम के पासवर्ड की जानकारी भी ले लेते हैं। कुछ सरकारी कर्मचारी जो इनके चंगुल में फंसे हैं। उनकी तनख्वाह भी सूदखोर एटीएम से भी निकाल लेते हैं। यदि सूदखोर पकड़ाते हैं तो सैकड़ों एटीमए और पासबुक इनके पास मिल सकती हैं।
हथिया लेते हैं प्रॉपर्टी
सूदखोर रकम और ब्याज की वसूली के नाम पर कर्जदार को जमकर लुटते हैं। कई बार तो ब्याज इतना ज्यादा हो जाता है कि कर्जदार का जेवर, मकान, प्लाट तक सूदखोर हथिया लेते हैं। बेहद जरूरतमंद व्यक्ति ही सूदखोर से कर्ज लेता है। इसलिए उस पर कर्ज चुकाने का दबाव रहता है। कर्जदार तो पूरी रकम चुकाना चाहता है, लेकिन ब्याज की रकम ही इतनी ज्यादा होती है कि उसकी कमाई इसे चुकाने में ही चली जाती है। सिर पर कर्ज होने की वजह से वह पुलिस प्रशासन से शिकायत करने का जोखिम उठाने में कतराता है।
जुबान पर लेनदेन
हुंडी और ब्याज पर दिए गए पैसों की कोई लिखा-पढ़ी नहीं रहती। लेन-देन जुबान पर होता है। हुंडी कारोबारी कर्ज देने से पहले हस्ताक्षरयुक्त चेक लेते हैं। इस वजह से सूदखोर मनमाने दर पर वसूली करते हैं। शहर में सूदखोरी की आड़ में गुंडागर्दी बढ़ रही है। बाउंसर भेजकर पैसे की वसूली की जा रही है।