धर्म

6 जून को अमावस्या पर शनि जयंती -शश योग में शनि प्रकट उत्सव मनेगा; वट सावित्री अमावस्या के साथ पितरों के निमित्त दान-धर्म की मान्यता

भोपाल। 6 जून को अमावस्या पर शनि जयंती के अवसर पर मंदिरों में आस्थावानों की भीड़ उमड़ेगी। शहर के शनि मंदिर सहित अन्य मंदिरों में सुबह शनिदेव की प्रतिमा को अभिषेक-पूजन कर शृंगारित किया जाएगा। इस दिन भक्त शनि देव को प्रसन्न करने के लिए काले तिल, तेल, काला वस्त्र आदि सामग्री अर्पण कर भगवान शनि देव से ग्रह दशा सुधारने के लिए प्रार्थना करते है।
पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर शनि प्रकट उत्सव या शनि जयंती मनाने की परंपरा है। इस बार यह उत्सव 6 जून गुरुवार के दिन रोहिणी नक्षत्र ध्रति योग एवं वृषभ राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में मनेगाा। शनि प्राकट्य उत्सव पर केंद्र में पांच ग्रह सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र पांच ग्रहों की युति बन रही है। इनमें शुक्र का केंद्र में होने से मालव्य योग और शनि के केंद्रगत होने से शश योग बना है। ऐसी स्थिति सालों बाद बनती है, किंतु इन स्थितियों में धर्म आध्यात्मिक संस्कृति का विशेष प्रभाव रहता है।
वट सावित्री अमावस्या भी इसी दिन
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को भावुका अमावस्या या वट सावित्री अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। ज्येष्ठ मास 12 माह में सबसे बड़ा माह माना जाता है और इस माह में विशेष त्यौहार धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को प्रदान करने वाले है। वहीं अमावस्या पर तीर्थ पर पितरों के निमित्त दान धर्म का विशेष नियम है। वहीं वट सावित्री अमावस्या व्रत का पूजन महिलाएं करती हैं, जिससे उनके सौभाग्य की वृद्धि हो सके व घर परिवार में सुख शांति की प्राप्ति हो।
शनि महाराज के अनुकूलता के लिए करें उपाय
जिन जातकों की जन्म कुंडली में शनि विपरीत स्थिति में विराजमान है या शनि की साढ़े साती, महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा शनि की ढैया से अनुकूलता बनाने के लिए शास्त्र में भिन्न-भिन्न प्रकार के उपाय दिए गए है। शनि महाराज की अनुकूलता प्राप्त करने के लिए शनिवार का व्रत रखें। तिल्ली के तेल से अभिषेक करें शनि की वस्तुओं का काला उड़द, काला कपड़ा, छतरी, चप्पल, खड़ा धान, राई का दान करें। शनि महाराज का विधिवत पूजन, हवन अर्चना करने से शनि महाराज की अनुकूलता होगी। बाधाएं, संकट, तनाव, दुख, पीड़ा का निराकरण होगा। कार्य में प्रगति तथा उन्नति के रास्ते खुलेंगे। शनि की अनुकूलता के लिए शनि स्त्रोत, शनि स्तवराज, महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र, शनि अष्टक, शनि चालीसा, बीजोक्त, वैदिक जाप का अनुष्ठान आदि विधिवत करने से अनुकूलता होगी।

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