राजनीतिक

अब लोकसभा चुनाव के बाद होंगे सहकारिता चुनाव -हाईकोर्ट के निर्देश ( highcourt commands) के बाद सरकार ने शुरू नहीं की चुनावी प्रक्रिया

प्रदेश में हाईकोर्ट के निर्देश ( highcourt commands)के बाद सहकारिता चुनाव की आस जगी थी, लेकिन सरकार चुनाव टालने की तैयारी में है। अब संभावना जताई जा रही है कि लोकसभा चुनाव के बाद ही सहकारिता चुनाव होंगे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश की सहकारी संस्थाओं के चुनाव लंबे समय से नहीं हो पाए हैं। राज्य सरकार इनमें प्रशासक नियुक्त कर काम चला रही है। सरकार इस तैयारी में भी है कि सहकारिता के चुनाव को लोकसभा चुनाव तक टाल दिया जाए। वर्तमान में मध्य प्रदेश में सहकारी संस्थाओं का कार्यकाल खत्म होने के एक साल के अंदर चुनाव कराने का प्रावधान है। इसके लिए अभी तक सदस्य सूची ही तैयार नहीं हुई है। समितियों का कार्यकाल समाप्त हुए पांच साल से अधिक समय हो चुका है। कुछ प्रकरण न्यायालय में भी विचाराधीन हैं। उधर, राज्य सहकारी संघ के चुनाव पिछले 18 सालों से नहीं हुए हैं। राज्य सहकारी विपणन संघ मार्कफेड एवं लघु वनोपज संघ के चुनाव भी नहीं हो पाए हैं। इस स्थिति को देखते हुए सरकार अब निर्वाचित संचालक मंडल का कार्यकाल समाप्त होने के एक साल के भीतर चुनाव कराने की बाध्यता को समाप्त करने जा रही है।
जानकारों का कहना है कि चुनाव नहीं होने के कारण प्रदेश में सहकारिता आंदोलन की हालत बेहद खस्ता है। सहकारी आंदोलन के पीछे जो कल्पना थी वह अब किसी सपने की तरह नजर आती है। बैजनाथन कमेटी की सिफारिशें ज्यों की त्यों कहीं भी लागू नहीं हुई और सहकारिता को आत्मनिर्भर बनाने की जगह इन पर सरकारी नियंत्रण बढ़ता गया। मुफ्त चुनावी घोषणाओं ने भी बैंकों की माली हालत खराब की। आलम यह है कि मालवा- निमाड़ अंचल के कुछ बैंकों को छोड़ दे तो प्रदेश के विंध्य, महाकौशल, चंबल और बुंदेलखंड अंचल के तहत आने वाले सेन्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंकों की हालत बेहद खराब है और वे बड़े कर्ज में डूबे हुए हैं। कुछ बैंक तो बंद होने की कगार पर हैं ये सरकार की गारंटी पर चल रहे हैं।
नहीं शुरू हुई चुनावी प्रक्रिया
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सहकारिता क्षेत्र में जगी चुनाव की आस एक बार फिर मद्धम पड़ती दिखाई दे रही है। हाईकोर्ट के निर्देश पर कोऑपरेटिव इलेक्शन कमेटी ने आठ जनवरी से प्राथमिक साख सहकारी समिति के चुनाव कराने को कहा था पर सरकार ने इसे लेकर जो हाईकोर्ट में जवाब दिया है उससे तय है कि चुनाव अब फिर कुछ वक्त के लिए टल जाएंगे। माना जा रहा है कि सहकारिता चुनाव की प्रक्रिया अब लोकसभा चुनाव के बाद ही शुरू की जाएगी। लंबे समय से रूके सहकारिता चुनावों को कराए जाने को लेकर हाईकोर्ट में एक दर्जन से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट से सरकार को निर्देश दिए थे कि वह जल्द से जल्द सहकारिता चुनाव कराए। आठ जनवरी से इसकी प्रक्रिया शुरू करने को कोर्ट ने कहा था।

 

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