मध्य प्रदेश में श्रीराम ( shree ram)वनवास के समय जिन मार्गों से गुजरे थे, वहां का विकास सरकार कराएगी। इसकी कार्य योजना से जुड़े सभी विषयों पर विचार कर उसे गति देने के लिए गठित श्रीरामचंद्र पथगमन न्यास की पहली बैठक चित्रकूट में मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में होगी। इसमें संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास और धर्मस्व राज्यमंत्री धर्मेंन्द्र सिंह लोधी, मुख्य सचिव वीरा राणा सहित संबंधित विभाग और जिलों के अधिकारी उपस्थित रहेंगे।
श्रीरामचंद्र पथगमन न्यास का गठन शिवराज सरकार ने किया था लेकिन इसकी बैठक नहीं हो पाई थी। न्यास का काम केंद्र सरकार की तरफ से प्रदेश में चिह्नित श्रीराम वन गमन पथ के 23 स्थलों का विकास करना है। इन स्थानों को जोडऩे वाले मार्ग को सुगम और सुविधाजनक बनाने के साथ पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए यात्री सुविधाओं का विकास और उनका संचालन किया जाएगा।
यह स्थल किए गए हैं चिह्नित
सतना, पन्ना, कटनी, जबलपुर, नर्मदापुरम, उमरिया, शहडोल और अनूपपुर जिले के स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, अत्रि आश्रम, शरभंग आश्रम, अश्वमुनि आश्रम, सुतीक्ष्ण आश्रम, सिद्धा पहाड़, सीता रसोई, रामसेल, राम जानकी मंदिर, बृहस्पति कुंड, अग्निजिह्ना आश्रम, अगस्त्य आश्रम, शिव मंदिर, रामघाट, श्रीराम मंदिर, मार्कंडेय आश्रम, दशरथ घाट, सीता मढ़ी को चिन्हित किया गया है। राम वनगमन पथ के विकास हेतु कमल नाथ सरकार ने 2019 में 22 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया, परंतु कार्य नहीं हुआ।शिवराज सरकार ने 2022 में मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ (कारिडोर) का काम शुरू करने के लिए पहले चरण में मूलभूत सुविधाएं विकसित करने पर जोर देते हुए 300 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को अनुमति दी।
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