मप्र विधानसभा का बजट शत्र बुधवार से शुरू हो गया है। गुरुवार को सत्र के दूसरे दिन विधानसभा में हरदा कांड की गूंज सुनाई दी। कांग्रेस के सदस्यों द्वारा हरदा की दुर्घटना को लेकर काम रोको सूचना पर चर्चा कराने की मांग की, जिसे विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने स्वीकार कर लिया। हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट की घटना को लेकर विधानसभा में विपक्ष द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हरदा का वीडियो देखकर लगा था कि पोखरण जैसा विस्फोट होगा। कैबिनेट बैठक रोक कर सबसे पहले टीम बनाई और मंत्री उदय प्रताप सिंह को अधिकारियों के साथ मौके पर भेजा। हरदा में विस्फोट देखकर ऐसा भी लगा कि आतंकी घटना तो नहीं हो गई। हमने भारत सरकार को भी तुरंत सूचना दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एनजीटी के आदेश का परीक्षण कर रहे हैं। उसके आधार पर राहत राशि दिलाई जाएगी। जानकारी मिली है कि हरदा में घर-घर जाकर बारूद बांटते थे और बम बनवाते थे। विस्फोट के कारण एक महिला का हाथ उड़ गया था। वह हमीदिया में एडमिट है। मैंने उससे बात की। जहां हादसा हुआ है वहां पीएम आवास नहीं देना चाहिए था, बस्ती बसाने के लिए कौन दोषी है, इसकी जांच करेंगे और कार्रवाई करेंगे। डॉ. यादव ने फायर बिग्रेड के कर्मचारियों की तारीफ की। जांच प्रभावित न हो, इसके लिए अधिकारियों को हटाया गया। कोई दोषी नहीं बचेगा, यह मैं आपको विश्वास दिलाता हूं। पूरे प्रदेश में विस्फोटक की जॉच की जा रही है। हरदा में 12 विस्फोटक लाइसेंस की जांच कराई गई है। मैं हैरान हूं यह जानकर कि दो साल पहले फैक्टरी मालिक घर-घर बारूद बांटकर बम बनवाता था। यह नया तमाशा पहली बार सुना।
घटना दुर्भाग्यपूर्ण, किसी दोषी को नहीं बख्शेंगे
मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि जांच कराई जा रही है। कितना ही बड़ा अधिकारी क्यों ना हो, दोषी को नहीं छोड़ा जाएगा। पूरे प्रदेश में जांच के लिए टीम गठित कर दी है। मैं इस बात में नहीं पडऩा चाहता हूं कि तीन वर्ष पहले किसकी सरकार थी। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है। जैसे ही इसकी जानकारी लगी तो मंत्री राव उदय प्रताप सिंह को अधिकारियों के साथ भेजा। तत्काल सभी कलेक्टरों की आपात बैठक बुलाई गई। जो वीडियो देखा था, उससे ऐसा लग रहा था मानो परमाणु बम फूट गया हो। केंद्रीय गृहमंत्री को तत्काल सूचना दी गई क्योंकि तब तक घटना के संबंध में कोई ठोस जानकारी नहीं थी। 100 फायर ब्रिगेड 50 एंबुलेंस भेजी अस्पतालों में तैयारी की गई ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए यदि किसी को बाहर भेजने की आवश्यकता होगी तो उपचार के लिए अवश्य भेजा जाएगा। यह भी देखा जाएगा कि ऐसी फैक्ट्री के आसपास किसी तरह की बस्ती ना हो।
विपक्ष ने की न्यायिक आयोग गठित करने की मांग
उधर, विपक्ष ने इस पूरे मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित करने की मांग की जिसे नहीं माना गया। इसके बाद विपक्ष ने बहिर्गमन कर विरोध जताया और सदन के बाहर नारेबाजी की। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने आरोप लगाया कि सरकार अधिकारियों को बचाने का प्रयास कर रही है जांच के नाम पर लीपापोती हो रही है तत्कालीन संभाग आयुक्त पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को हटाए जाने पर भी विपक्ष ने कहा कि यह कोई कार्रवाई नहीं है सिर्फ दिखावा है।
अधिकारियों की मिलीभगत
कांग्रेस के विधायकों ने आरोप लगाया कि अधिकारियों की मिलीभगत से ही हरदा में वह फैक्ट्री संचालित हो रही थी, जो कई लोगों की मौत का कारण बनीं। उप नेता हेमंत कटारे ने कहा कि कई लोग अपने परिचितों को तलाश रहे हैं। ट्रांसफर करना यह हटाना कोई कार्रवाई नहीं है। रामनिवास रावत ने कहा कि यह कोई पहली घटना नहीं है 2015 में भी हरदा में घटना हुई थी पेटलावद में भी घटना हो चुकी है लेकिन अभी तक सरकार ने सदन में रिपोर्ट ही नहीं रखी है जबकि यदि रिपोर्ट प्रस्तुत कर जाती तो संभव है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृति ना हो उसके संबंध में कोई व्यवस्था बन जाती। स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने घटना के बाद किए गए घटनास्थल के निरीक्षण और सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं की जानकारी सदन को दी। वहीं, विश्वास सारंग ने जब गिरफ्तार आरोपितों के नाम के साथ जी का उल्लेख किया तो विपक्ष ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि वे लोग सम्मान के हकदार नहीं है कई लोगों की जान गई है। सारंग ने भी तत्काल गलती सुधारते हुए कहा कि मैं अपने शब्द वापस लेता हूं।