मोहन सरकार में विधानसभा सत्र के दौरान राज्य के सभी 52 विभागों के प्रशासनिक प्रतिवेदन पेश नहीं किए जाएंगे। संसदीय कार्य विभाग ने इसको लेकर सभी विभागों से कहा है कि वे जुलाई में होने वाले विधानसभा के सत्र के हिसाब से प्रशासनिक प्रतिवेदन तैयार करें। यह व्यवस्था इसलिए बदली जा रही है, क्योंकि सरकार अभी सात फरवरी से शुरू होने वाले सत्र के दौरान प्रदेश सरकार के साल भर के आय व्यय का पूर्ण बजट नहीं, बल्कि अंतरिम बजट पेश करने वाली है।
संसदीय कार्य विभाग द्वारा हर साल बजट सत्र के दौरान विभागों के प्रशासनिक प्रतिवेदन मांगे जाते हैं। इस प्रतिवेदन में विभाग के मौजूदा स्ट्रक्चर और उपलब्धियों का पूरी ब्यौरा विभाग की ओर से दिया जाता है, जिसमें विभाग की संरचना, कर्मचारियों अधिकारियों का सेटअप, रिक्त और भरे हुए पदों की जानकारी, विभाग द्वारा किए गए कार्य और उपलब्धियां, विभाग की प्रमुख योजनाएं और उससे लाभान्वित होने वाले हितग्राहियों की जानकारी व विभागीय खर्च (आय व व्यय) समेत अन्य ब्यौरे शामिल रहते हैं।
बजट सत्र के दौरान विभागों के प्रशासनिक प्रतिवेदन के आधार पर विधायक सदन में विभागों की गतिविधियों और कामों को लेकर सदन में चर्चा करते हैं। इसी के चलते विधानसभा सत्र की अधिसूचना जारी होने के बाद संसदीय कार्य विभाग ने पहले सभी विभागों को प्रशासनिक प्रतिवदेन तैयार करने के लिए कहा था।
तीन दिन पहले इसमें बदलाव करते हुए संसदीय कार्य विभाग ने विभागों को दी गई सूचना में कहा है कि प्रशासनिक प्रतिवेदन अब फरवरी के बजट सत्र में नहीं बल्कि जुलाई में होने वाले पावस सत्र में पेश किए जाएंगे। अभी सरकार फरवरी के सत्र में लेखानुदान बजट (अंतरिम बजट) लाने वाली है जिसमें अप्रैल से जून 2024 तक का आय-व्यय का जिक्र रहेगा। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सरकार अनुपूरक बजट भी लाएगी। संसदीय कार्य विभाग के सूत्रों का कहना है कि चूंकि फरवरी के सत्र में विभागों के पूर्ण बजट नहीं आएंगे। इसलिए जुलाई में पेश होने वाले आठ माह के लेखा-जोखा के दौरान विभाग अपने प्रशासनिक प्रतिवेदन पेश करेंगे।