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“लाड़ली बहनाओं की संख्या में हो रही घटना: राजनीतिक विवाद और योजना की दिक्कतें” | “Decline in the Number of ladli bahan yojna: Political Controversy and Challenges in the Scheme”

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 10 जनवरी को अपने कार्यकाल की पहली लाड़ली बहना योजना( ladli bahana yojna) की किश्त खातों में डलवाई। दूसरी ओर कांग्रेस ने इस पर हल्ला मचाया कि लगभग डेढ़ लाख लाड़ली बहनाएं घट गईं। हालांकि बाद में भाजपा की ओर से स्पष्टीकरण दिया गया कि 60 साल से अधिक उम्र की जो लाड़ली बहनाएं हो गईं, उन्हें सूची से बाहर करना पड़ा, और उनकी संख्या डेढ़ लाख से अधिक है। इसी तरह, 154 की मौत हो गई है, और 18,000 से अधिक ने योजना का परित्याग किया है। 804 लाड़ली बहनाएं भी समग्र-आधार से जुड़ी नहीं हैं। इसके परिणामस्वरूप, लगभग 2 लाख हितग्राहियों की संख्या कम हो गई है।

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने लाड़ली बहना योजना को घोषित किया और हर महीने लगभग 1600 करोड़ रुपए की घंटी नई सरकार के लिए बंद कर दी। शासन का खजाना भी खाली है और लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है। अब तक, 1576.61 करोड़ रुपए की राशि केवल मुश्किल से अफसरों से जुटा है, और अब फरवरी के लिए राशि जुटाने में और भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। इसके कारण, भाजपा इस योजना पर अभी कुछ करने में सक्षम नहीं है, क्योंकि लोकसभा चुनाव आगामी है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को इसे प्रमित करने के लिए हर माह 10 तारीख को लाड़ली बहनों के खातों में राशि जमा करने की घोषणा करनी पड़ी है, और कल उन्होंने अपने वादे के मुताबिक 1.29 करोड़ लाड़ली बहनों के खातों में इस राशि का ट्रांसफर कर दिया।

कांग्रेस ने इस बारे में विरोध किया कि लाड़ली बहनों की संख्या सितंबर 2023 में 1 करोड़ 31 लाख 2182 थी, लेकिन अब जनवरी में 1 करोड़ 29 लाख 26835 तक कैसे घट गई। कांग्रेस ने धीरे-धीरे इस योजना को बंद करने के आरोप भी लगाए, जिसके जवाब में भाजपा ने यह स्पष्ट किया कि लाड़ली बहनों की संख्या में कोई कमी नहीं हुई है, बल्कि पिछले 5 महीनों में 154 लाड़ली बहनों की म

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