मध्य प्रदेश

“मध्य प्रदेश ( mp elecrtricity shortage)में जमीन की कमी के चलते बनाए जाएंगे अंडरग्राउंड सब स्टेशन, शहरों के विकास की नई रणनीति “

“मध्य प्रदेश ( mp electricity shortage)में बिजली की दिन प्रतिदिन बढ़ती मांग के अनुरूप सब स्टेशन बनाने की जरूरत पड़ रही है। ऐसे में आबादी वाले व्यावसायिक इलाकों में जमीन के दाम आसमान पर है वहीं उपलब्धता भी चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में बिजली कंपनीा भविष्य की इस समस्या से निपटने के लिए अंडरग्राउंड सब स्टेशन निर्माण की दिशा में काम कर रही है। कंपनी ने महानगरों में इस अवधारणा पर काम करने की कार्ययोजना बना रही है। हालांकि कंपनी प्रबंधन इसे प्रारंभिक स्तर पर बनाई योजना ही मान रहा है। देश में तीन प्रमुाख महानगरों में ऐसे सब स्टेशन बनाए गए हैं।
आने वाले दिनों में जमीन की ऊपरी सतह से लगभग 12 से 15 मीटर नीचे विद्युत सब स्टेशन का निर्माण होगा। इन अंडरग्राउंड सब स्टेशनों में जहां फॉल्ट का ग्राफ न्यूनतम हो जाएगा, वहीं मौसम भी इन सब स्टेशनों और इनके उपकरणों को प्रभावित नहीं कर सकेगा। मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कम्पनी द्वारा इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया गया है। जहां नए सब स्टेशन बनाए जाने हैं, वहां अब अंडरग्राउंड सब स्टेशन बनाए जाएंगें। पूरी तरह से रिमोट से ऑपरेट होने वाले इन सब स्टेशनों के शुरू होने के बाद उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली मिल सकेगी। अंडर ग्राउंड सब स्टेशन से जमीन की बचत होगी। यह 600 स्क्वायर मीटर जगह में बनकर तैयार हो जाएगा। यह जमीन से न्यूनतम लगभग 12 और अधिकतम 17 मीटर नीचे बनाया जाएगा। इससे ऊपर की भूमि को दूसरे कार्य जैसे ऑफिस, पार्क, पार्किंग या अन्य चीजों के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे जगह की भी बचत होगी। इसकी अनुमानित लागत 150 करोड़ रुपए के आसपास होगी।
होगा मैंटेनेंस फ्री
मौसम का प्रभाव सब-स्टेशनों पर काफी अधिक होता है। वर्षा ऋतु में तेज हवाओं और बारिश के कारण सामान्य सब-स्टेशनों में खराबियों और फाल्ट्स की संख्या में वृद्धि होती है। वहीं बारिश, धूप और गर्मी के कारण वहां लगने वाले उपकरणों, पोल और तारों पर भी विपरीत असर पड़ता है। लेकिन भूमिगत सब स्टेशन बनने के बाद इसमें बड़े स्तर पर कमी आने का अनुमान लगाया जा रहा है।
जमीन की कमी भी वजह
बिजली कंपनी आने वाले समय में जमीन की कमी से निपटने नए विकल्प पर काम कर रही है। अंडरग्राउंड सब स्टेशन ऐसा ही एक विकल्प है जिसमें जमीन का ऊपरी हिस्सा सामान्य कामकाज में उपयोग होगा और उसके नीचे सब स्टेशन बनाया जाएगा। आबादी वाले क्षेत्र जहां जमीन की उपलब्धता कम व कीमत करोड़ों रुपये में है वहां अंडरग्राउंड सब स्टेशन बनाए जाएंगे। ताकि जमीन का ऊपरी हिस्सा अन्य कार्य में उपयोग में लाया जा सके।
अंडरग्राउंड लाइन बिछाने की लागत 17 गुना ज्यादा है
इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन के लिए यह योजना बनाई जा रही है। इंदौर और भोपाल में मेट्रो ट्रेन का संचालन शुरू होने जा रहा है, जिसके लिए अधिक बिजली की आवश्यकता होगी।निर्वाध बिजली की आपूर्ति के लिए आबादी वाले इलाकों में अंडरग्राउंड सब स्टेशन बनाने पर विचार हो रहा है। अंडरग्राउंड लाइन बिछाने की लागत 17 गुना ज्यादा है। टावर के जरिए 132 केवी लाइन की सप्लाई देने में जहां डेढ़ करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर लागत आती है वहीं अंडरग्राउंड लाइन डालने का खर्च 17-18 करोड़ रुपये आता है।
मध्य प्रदेश में वर्तमान समय में दो प्रकार के सब स्टेशन पाए जाते हैं:
1. सामान्य सब स्टेशन: इसकी स्थापना के लिए न्यूनतम 150 बाई 150 वर्ग मीटर और अधिकतम 180 बाई 180 वर्ग मीटर की जगह की जरूरत होती है। इसे बनाने का खर्च लगभग 30 करोड़ रुपए आंका जाता है।
2. गैस इंसुलेटेड सब स्टेशन: इसके निर्माण के लिए 60 बाई 60 वर्गमीटर या 60 बाई 50 वर्गमीटर की जगह आवश्यक होती है। इसके निर्माण पर लगभग 50 करोड़ रुपए का व्यय आता है।
इनका कहना है
अंडरग्राउंड सब स्टेशन की अवधारणा पर विचार किया जा रहा है। देश में कुछ शहर दिल्ली-मुबंई में ऐसे अंडरग्राउंड सब स्टेशन बनाए गए हैं। भविष्य में जमीन की दिक्कत को ध्यान में रखकर इस तरह के सब स्टेशन बनाने पर विचार हो रहा है। यह सब स्टेशन सामान्य से कई गुना महंगे होते हैं।

 

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