
भारत सरकार ने मध्य प्रदेश और उत्तराखंड के जंगलों में आग ( forest fire) की घटनाओं का अध्ययन करने के बाद, वनाग्नि को आपदा के रूप में मान्यता दी है। इस आग से जनसंख्या, वन्यजीवन, और वन संपदा को गंभीर क्षति पहुंचती है। मध्य प्रदेश के 22 जिलों समेत पूरे देश में 150 जिले चिह्नित किए गए हैं, जहां जंगल में आग लगने की घटनाएं अधिक होती हैं। इनकी रोकथाम के लिए गाइडलाइन भी जारी की गई है। उधर, मप्र सरकार ने चिह्नित जिलों के जंगलों में आग पर काबू पाने के लिए पहले चरण में 80 करोड़ रुपये मांगे हैं। इसका प्रस्ताव भेज दिया गया है।
नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओइएफसीसी) भारत सरकार ने मई 2023 में मध्य प्रदेश और उत्तराखंड के जंगलों का अध्ययन किया। इस अध्ययन के आधार पर, भारत में वन आग प्रबंधन के लिए नेशनल प्रोग्राम आन फारेस्ट फायर मैनेजमेंट (एनपीएफएफएम) लागू किया गया है। अध्ययन से पता चला है कि आदिवासी समुदाय द्वारा जंगल की सफाई, नई पत्तियों के उगाव और मधुमक्खियों को भगाने के लिए जंगल में आग लगाने के कारण प्राकृतिक और मानवजनित दोनों प्रकार की आग लगती है।इसके अलावा खेती के लिए भी सपाट मैदान बनाने के लिए भी जंगल में आग लगाई जाती है। यह माना गया कि जंगल में आग प्राकृतिक और मानवजनित दोनों कारणों से लगती है। बता दें कि विश्व स्तर पर वन लगभग 4.06 बिलियन हेक्टेयर में फैले हुए हैं, जो विश्व के लगभग 31 प्रतिशत भूमि क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत शीर्ष 10 देशों में से एक है। यह समग्र विश्व के वन क्षेत्र का 10वां सबसे बड़ा 1.8 प्रतिशत हिस्सा है।
देशभर के 150 जिले
भारतीय सरकार ने वन क्षेत्रों में आग की संवेदनशीलता पर आधारित एक सूची जारी की है जिसमें पूरे देश के 150 जिले शामिल हैं। इसमें मध्य प्रदेश के 22 जिले, महाराष्ट्र के 12 जिले, छत्तीसगढ़ के 12 जिले, उत्तराखंड के छह जिले, उत्तर प्रदेश के सोनभद्र और पीलीभीत, गुजरात के तीन जिले, झारखंड के पांच जिले, जम्मू कश्मीर के दो जिले, पंजाब और बिहार के एक-एक जिले, उड़ीसा के 17 जिले, असम के चार जिले, नगालैंड के 11 जिले, हिमाचल प्रदेश के तीन जिले, अरुणाचल प्रदेश के चार जिले, मिजोरम के सात जिले और मणिपुर, मेघालय, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश के जिले भी इस सूची में शामिल हैं।
ऐसे किया जाएगा नियंत्रण
सामुदायिक सहभागिता, साझा जिम्मेदारी और जवाबदेही, उन्नत वन अग्नि विज्ञान और प्रौद्योगिकियों का समावेश, क्षमता विकास और निगरानी के माध्यम से आग पर नियंत्रण पाया जाएगा। वनों के समीप निवासरत वनवासी और अन्य ग्रामीणों को जागरूक करने का कार्य किया जाएगा। ग्रामीणों द्वारा खेतों में आग लगाई जाती है तो वन अमला इसकी निगरानी करेगा। आग लगने वाले संभावित वन क्षेत्रों में वन अमला तैनात किया जाएगा। वन अमले के मोबाइल फोन पर वन अग्नि नियंत्रण के लिए बनाया गया एप डाउनलोड कराकर सेटेलाइट इमेज की मदद से शीघ्र आग लगने वाले स्थल पर पहुंचा जा सकेगा।