मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल गठन के बाद, विभागों के बंटवारे के बाद अब भाजपा का मुख्य फोकस मंत्रियों को जिलों का प्रभार देने पर है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा चुनावी रणनीति के तहत मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंपा जाएगा। इसका मतलब है कि विधानसभा चुनाव में जिन जिलों में भाजपा को कम सीटें मिली हैं, वहां के जिलों का प्रभार मजबूत मंत्रियों को सौंपा जाएगा। मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्री ने 13 दिसंबर को शपथ ली थी, और इसके 12 दिन बाद 25 दिसंबर को मंत्रिमंडल के 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इसके पश्चात्, 26 दिसंबर को मोहन कैबिनेट की पहली बैठक आयोजित की गई, और 30 दिसंबर को विभागों का वितरण किया गया। विभागों के वितरण के बाद, 3 जनवरी को जबलपुर में पहली कैबिनेट की बैठक आयोजित की जा रही है। इस बार कैबिनेट मंत्रियों को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जिलों का प्रभार सौंपा जाने की संभावना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्रिमंडल के सदस्यों को भोपाल से लेकर दिल्ली तक चले लंबे विचार मंथन के बाद विभागों का बंटवारे के बाद अब जिलों के प्रभार का वितरण करने की तैयारी कर रहे हैं। जिलों का प्रभार भी भाजपा हाईकमान की ज्यादातर हरी झंडी के बाद ही होगा। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर, मोहन कैबिनेट के मंत्रियों को जिला प्रभारी बनाया जाना है। खासतौर पर ऐसे जिले जहां विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। विधानसभा के चुनाव नतीजों के हिसाब से उनमें से आधा दर्जन संसदीय क्षेत्रों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत सत्ताधारी दल से ज्यादा था। इसलिए सत्ता-संगठन के बड़े नेता अब से सतर्क हो गए हैं।
30 मंत्रियों में 55 जिलों का प्रभार
डॉ. मोहन यादव कैबिनेट में मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्री सहित सभी 31 मंत्री हैं। मुख्यमंत्री को छोड़कर 30 मंत्रियों के बीच प्रदेश के सभी 55 जिलों के प्रभार निर्धार