राजनीतिक

“भ्रष्टाचार में संलिप्त बना प्रहलाद का ओएसडी: शपथ ग्रहण के बाद की कवायदें” | “Prahlad Appointed as OSD Amidst Corruption Allegations: Actions Taken After shapth grahan”

विधानसभा चुनाव, मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण ( shapath grahan)और मंत्रियों को विभागों के आवंटन के बाद अब मंत्रियों के यहां स्टाफ की पदस्थापना की कवायद चल रही है।

विधानसभा चुनाव, मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण ( shapath grahan)और मंत्रियों को विभागों के आवंटन के बाद अब मंत्रियों के यहां स्टाफ की पदस्थापना की कवायद चल रही है। लेकिन इसके लिए भी सरकार ने एक नया एक्शन प्लान बनाया है। जिसके तहत मंत्रियों के यहां पदस्थ होने वाले स्टाफ की पूरी प्रोफाइल जांची जाएगी। इसके पीछे सरकार की मंशा है कि मंत्रियों के यहां साफ-सुथरी छवि वाला ही स्टाफ पदस्थ हो। लेकिन भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की चर्चा के बीच सरकार की ओर से भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी को एक वरिष्ठ मंत्री का विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (ओएसडी) बनाए जाने के फैसले ने सबको चौंका दिया है।
श्रम विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार इंदौर में उप-श्रमायुक्त लक्ष्मीप्रसाद (एलपी) पाठक को श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल का ओएसडी पदस्थ किया गया है। पाठक के खिलाफ लोकायुक्त में भ्रष्टाचार के मामले में प्रकरण दर्ज है। जांच में आरोप प्रमाणित होने के बाद विभाग से अभियोजन की स्वीकृति भी मांगी जा चुकी है। प्रहलाद पटेल कद्दावर मंत्री हैं। उनके पास श्रम विभाग के अलावा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग भी है। सरकारी आदेश के अनुसार पाठक अपने वर्तमान कार्य के साथ श्रम मंत्री की निजी स्थापना में ओएसडी का काम भी देखेंगे। उल्लेखनीय है कि पुलिस महानिदेशक लोकायुक्त ने नवंबर 2023 में प्रमुख सचिव श्रम को पत्र लिखकर लक्ष्मी प्रसाद पाठक के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में न्यायालय में अभियोजन प्रस्तुत करने के लिए स्वीकृति मांगी थी। जिसकी स्वीकृति शासन से अभी नहीं मिली है।
इधर हो रही है जांच-पड़ताल
गौरतलब है कि पूर्व में कुछ मंत्रियों के स्टाफ के कारण सरकार की छवि धुमिल हो चुकी है। इसकी वजह यह है कि मंत्री कोई भी हो स्टाफ सालों पुराने लोग ही बनते आ रहे हैं। संगठन और संघ ने पूर्व में कई बार मंत्रियों का स्टाफ को लेकर हिदायत दी है। इसको देखते हुए इस बार स्टाफ को पूरी तरह परख कर तैनात किया जाएगा। शायद यही वजह है कि प्रदेश में मोहन यादव मंत्रिमंडल के गठन को 16 दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है, साथ ही विभागों के वितरण को भी 10 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक मंत्रियों को स्टॉफ नहीं मिला है। यह तथ्य भी छिपा नहीं है कि मंत्रियों के विवादस्पद बनने के पीछे ज्यादातर हाथ उनके नाते रिश्तेदारों के अलावा निजी स्टॉफ का भी रहा है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि ऐसी नियुक्तियां बहुत सोच समझकर और व्यक्ति के बारे में पूरी पड़ताल के बाद ही की जाएं ताकि भविष्य में किसी भी मंत्री के निजी स्टॉफ के कार्यकलापों को लेकर सरकार की छवि को ठेस न पहुंचे। आमतौर पर निजी स्टाफ में वर्षों से कुछ ही लोग अलग अलग विभागों के मंत्रियों के साथ संलग्न रहते आए हैं। लेकिन इस बार इस परंपरा में बदलाव के साथ कुछ नए लोगों को भी अवसर दिया जा सकता है।
स्टॉफ में नियुक्ति सीएम के अनुमोदन से ही
गौरतलब है कि पद की शपथ लेने के बाद से ही मंत्रियों ने स्टॉफ की नियुक्ति के लिए राज्य शासन को नोटशीट भेजना शुरू कर दिया था। जिसमें सामान्य प्रशासन विभाग ने सिर्फ गिने-चुने कर्मचारियों को मंत्री स्टॉफ में पदस्थ करने के आदेश जारी किए हैं। जबकि ज्यादातर की नोटशीट रोक ली है। खबर है कि मंत्री स्टॉफ में नियुक्ति मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद ही की जाएगी। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से मंत्रियों के यहां स्टॉफ की नियुक्ति में हो रही देरी की वजह यह बताई जा रही है कि विभाग मुख्यमंत्री के पास है। ऐसे में मंत्री स्टॉफ में नियुक्ति के लिए फाइल मुख्यमंत्री के पास अनुमोदन के लिए भेजी जा रही है। अनुमोदन मिलने के बाद ही आदेश जारी किए जाएंगे। हालांकि मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के पास यह मामला भी पहुंचा है कि मंत्रियों ने अपने स्टॉफ के लिए ज्यादातर उन कर्मचारियों की नोटशीट भेजी हैं, जो पिछली सरकारों के समय भी मंत्री स्टॉफ में पदस्थ रह चुके हैं। खबर है कि कुछ मंत्रियों के स्टॉफ में इस बार नए कर्मचारी भी पदस्थ किए जा सकते हैं। इधर, मंत्री स्टॉफ में नियुक्ति के लिए सिफारिशें सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंच रही हैं। मंत्रियों के पास भी कर्मचारियों की सिफारिशें पहुंची हैं। मंत्री स्टॉफ में नियुक्ति के लिए सिफारिशों का भी ध्यान रखा जाएगा। हालांकि सिफारिशों के आधार पर कितनी नियुक्तियां मंत्री स्टॉफ में होंगी, यह तय नहीं है। सिफारिशें अलग-अलग स्तर से आई हैं।

 

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