जबलपुर जिले में करोड़ों रुपए की धान खरीदी ( dhan kharidi)का फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद सरकार ने उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं। वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए खाद्य विभाग ने 27 जिलों में हुई धान की खरीदी की जांच करने का निर्देश कलेक्टरों को दिया है। इस जांच के बाद जबलपुर सहित प्रदेशभर में धान खरीदी में हुए घोटाले की पोल खुलने की संभावना है।
खाद्य और आपूर्ति विभाग की जांच में खुलासा
जबलपुर में धान खरीदी में बड़े पैमाने पर घोटाले का खुलासाजांच के दौरान टीम को और भी कई अहम जानकारी मिली है। पंजीयन करने वाले कई ऑपरेटर और उसके साथ काम करने वाले अन्य कर्मचारियों ने फर्जी पंजीयन करने का काम किया। ऑपरेटर में भी कई ऐसे हैं, जिनके वेयर हाउस चल रहे हैं और उन्होंने उसमें माल भरने के लिए फर्जी पंजीयन कराए। इसको देखते हुए खाद्य विभाग ने 27 जिलों में धान खरीदी की जांच करने का निर्देश कलेक्टरों को दिया है।
अन्य जिलों में भी गड़बड़ी की आशंका
खाद्य विभाग ने अन्य जिलों में भी जबलपुर की तरह गड़बड़ी होने की आशंका जाहिर की है। इस मामले में विभाग ने सभी कलेक्टरों से गैर मान्यता प्राप्त खरीदी केन्द्र गोदाम संचालकों के जरिए की गई खरीदी और अनाधिकृत किसानों से धान की बिक्री और खरीदी के रिकार्डो की जांच-पड़ताल करने के लिए कहा है। विभाग ने यह भी कहा कि अगर कहीं इस तरह के मामले सामने आते हैं तो संबंधित के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। इसके अलावा जबलपुर धान खरीदी मामले से पूर्व की गई खरीदी पर विस्तार से जांच पड़ताल कर रिपोर्ट भेजने के लिए कहा गया है। कलेक्टरों को यह रिपोर्ट अगले सप्ताह देना होगी।
27 जिलों में हो रही धान खरीदी
प्रदेश के सतना, सीधी सहित 27 धान उत्पादन वाले जिलों में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की जा रही है। इस दौरान जिन किसानों से धान खरीदी गई है, राजस्व विभाग से उनकी जमीन का आकलन भी करने के लिए कहा गया है। उनके क्षेत्रों में एक एकड़ में धान उत्पादन के क्या मापदंड हैं, इसका आकलन किया जाएगा। अब तक मध्य प्रदेश में 36 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है। धान खरीदी का कार्य 19 जनवरी तक जारी रहेगा। खाद्य विभाग ने रीवा, सतना, मऊगंज, सिंगरौली, उमरिया, सीधी, अनूपपुर, शहडोल, कटनी, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, मंडला, बालाघाट, डिंडोरी, नर्मदापुरम, बैतूल, हरदा, दमोह, पन्ना, रायसेन, सीहोर, ग्वालियर, शिवपुरी, भिंड, सागर और दतिया जिलों के कलेक्टरों को इस संबंध में पत्र लिखा है।
जबलपुर में धान की खरीदी में किस स्तर पर गड़बड़ी हुई है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 45 गोदामों की जांच में 22 में गड़बड़ी मिली है। जबलपुर में करीब 10 हजार फर्जी खाता धारक सामने आए थे। सूत्र बताते हैं कि 40 फीसदी धान के पंजीयन फर्जी हैं। उपार्जन के दौरान धान बेचने वाले 54 हजार किसानों ने पंजीयन कराया था। 40 फीसदी में लगभग 60 फीसदी पंजीयन में तो आवेदन ही नहीं मिले हैं। यह जानकारी खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की ओर से भोपाल से जबलपुर आई गोपनीय समिति की रिपोर्ट में सामने आई है। इस मामले में अब जल्द ही राज्य सरकार बड़ी कार्रवाई कर सकती है। जांच के दौरान कई बड़े अधिकारी और वेयर हाउस संचालक के नाम भी सामने आए हैं। जांच के दौरान टीम को और भी कई अहम जानकारी मिली है। पंजीयन करने वाले कई ऑपरेटर और उसके साथ काम करने वाले अन्य कर्मचारियों ने फर्जी पंजीयन करने का काम किया। ऑपरेटर में भी कई ऐसे हैं, जिनके वेयर हाउस चल रहे हैं और उन्होंने उसमें माल भरने के लिए फर्जी पंजीयन कराए। अब इनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है। सूत्रों की मानें तो जिले में ब्लैक लिस्ट के साथ अन्य वेयर हाउस की भी भौतिक जांच होगी। माना जा रहा है कि जांच में जब खुलासा होगा तो कई बड़े अधिकारी और नेताओं सहित फर्जी किसानों के नाम भी सामने आ सकते हैं। जबलपुर में कुछ गोदाम संचालकों ने महिला स्व सहायता के माध्यम से बिना खरीदी केन्द्र बने ही करोड़ों की धान किसानों से खरीद ली। ज्यादातर धान की मात्रा एफएक्यू से नीचे थी। जांच में यह भी पाया गया कि कई टन धान भींगी और खराब हो गई। धान की खरीदी सिकमी और बटाईदारों के नाम पर की गई थी, जो वास्तव में नहीं पाए गए थे। इसके अलावा जो बटाईदार थे, उनके पास उतनी जमीन नहीं थी। शिकायत होने पर इस मामले में तत्कालीन प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव ने कई अधिकारियों पर कार्रवाई भी की थी। धान खरीदी की जांच में खरीदी केन्द्रों बनाने की अनुमति देने से पहले किसी गोदाम संचालक ने धान खरीदी तो नहीं की।क्या सरकार द्वारा निर्धारित न्यायसंगत औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) के अनुसार धान की खरीदी हुई है, खरीदी केंद्र निर्धारित करने या खरीदी शुरू करने से पहले गोदामों में जमा धान की मात्रा का क्या मूल्यांकन था, साथ ही रजिस्टर्ड सिकमी और बटाईदार किसानों से धान खरीदने और उनकी जमीन का सत्यापन करने की प्रक्रिया क्या थी, इसकी जांच के लिए एसीएस खाद्य विभाग स्मिता भारद्वाज ने कलेक्टरों से धान खरीदी की रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले में आगे कुछ कहा जा सकेगा।
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