केन्द्र सरकार के आदेषानुसार अब केवल वहीं आईपीएस अफसर डीजीपी बन सकेंगे, जिनका कार्यकाल फील्ड में दस साल का रहा हों। अब डीजीपी बनने के लिए महज सीनियर होना अथवा सीआर का अच्छा होना ही आवष्यक नहीं। केन्द्र सरकार के द्वारा जारी किए गए नए नियमों से कई सीनियर अधिकारियों के डीजीपी बनाए जाने की मंषा पर पानी फिर गया है। इसके अलावा कुछ अधिकारियों की उम्मीद की किरण जग गई है। यूपीएससी द्वारा जारी नए आदेष में इस बात का कहीं उल्लेख नहीं है कि डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो साल का रहेगा। यानी राज्य सरकार जब चाहे तो डीजीपी को बदल सकती है।
यूपीएससी द्वारा जारी नए नियमों के मुताबिक ऐसेे आईपीएस अफसरों को ही मौका मिल सकेगा जिनकी पदस्थापना जांच एजेंसियों में रही हो। इसके अलावा कानून और व्यवस्था ,अपराध ष्षाखा, आर्थिक अपराध ष्षाखा या इंटेलीजेंस जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कम से कम दस वर्ष का अनुभव और विषिष्ट सेवा के साथ-साथ इंटेलीजेंस,ब्यूरो,रिसर्च एंड एनालिसिस विंग या सीबीआई में पदस्थ रहने वाले अफसरों के नाम प्राथमिकता के आधार पर डीजीपी के पैनल में ष्षामिल किए जा सकेंगे।
यूपीएससी के ज्वाइंट सचिव द्वारा जारी किए गए नए आदेष में 2009 तथा 2019 में यूपीएससी द्वारा डीजीपी चयन के लिए बनाए गए सभी नियम निरस्त हो गए है। समिति का गठन”
डीजीपी चयन के लिए समिति का गठन किया । उक्त समिति में यूपीएससी का अध्यक्ष या अध्यक्ष द्वारा नियुक्त किया सदस्य होगा। समिति के अन्य सदस्यों में केन्द्रीय गृह सचिव य उनका नामिनी,संबंधित राज्य के मुख्य सचिव,डीजीपी तथा गृह विभाग द्वारा नियुक्त सीपीओ या सीपीएफएम का अधिकारी, लेकिन वह संबंधित राज्य का नहीं होगा।