मध्यप्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट, ( khandwa loksabha seat)जो राज्य में निमाड़ क्षेत्र की सबसे प्रमुख सीट मानी जाती है, राजनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। यह सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है और महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाकों से सटी हुई है, जिससे यहाँ महाराष्ट्र की राजनीति का भी प्रभाव पड़ता है। खंडवा लोकसभा सीट को बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है और यहाँ बीजेपी लगातार जीत हासिल कर रही है। इस सीट से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे, स्वर्गीय नंदकुमार सिंह चौहान और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे अरुण यादव ने भी प्रतिनिधित्व किया है।
खंडवा लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास बहुत दिलचस्प रहा है। इस सीट से सबसे ज्यादा बार सांसद चुने जाने का रिकॉर्ड नंदकुमार सिंह चौहान के नाम है, जिन्होंने 6 बार इस सीट से जीत हासिल की। इस सीट पर पहली बार 1962 में चुनाव हुआ था, जिसमें कां
ग्रेस के महेश दत्ता विजयी हुए थे। इसके बाद 1967 और 1971 में भी कांग्रेस ने जीत हासिल की। हालांकि, 1977 में खंडवा की जनता ने भारतीय लोकदल को विजयी बनाया। 1980 में एक बार फिर कांग्रेस के शिवकुमार नवल सिंह यहां से सांसद चुने गए। 1984 में कांग्रेस के कालीचरण रामरतन जीते, लेकिन 1989 में पहली बार बीजेपी ने इस सीट पर विजय प्राप्त की।
1996 में बीजेपी के लिए यहां कमल खिला और नंदकुमार सिंह चौहान विजयी हुए। हालांकि, 2009 में कांग्रेस के अरुण यादव ने उन्हें हराया, लेकिन 2014 की मोदी लहर में नंदू भैया फिर से खंडवा से सांसद बने। नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के बाद 2022 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें बीजेपी के ज्ञानेश्वर पाटिल ने जीत हासिल की।
इस सीट के राजनीतिक इतिहास के मद्देनजर इस बार भी यहां कांग्रेस के लिए राह मुश्किलों भरी होने की संभावना है, और यह सीट बीजेपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
मध्यप्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट, जिसमें आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं, में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी ने 7 सीटें और कांग्रेस ने 1 सीट जीती है। यह सीट महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाकों से लगी हुई है और यहाँ के राजनीतिक समीकरण इसे बीजेपी के लिए मजबूत गढ़ बनाते हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में, खंडवा सीट पर करीब 19 लाख 59 हजार मतदाता थे, जिनमें बीजेपी ने नंदकुमार सिंह चौहान के साथ जीत हासिल की थी। 2021 के उपचुनाव में भी बीजेपी ने यह सीट बरकरार रखी। इस सीट पर जातीय समीकरणों का भी खासा महत्व है, जहां अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी, अल्पसंख्यक और सामान्य वर्ग के मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं।
खंडवा और बुरहानपुर के बीच की चर्चा भ
ी इस सीट की एक विशेषता है। बीजेपी ने पिछले 12 चुनावों से बुरहानपुर से उम्मीदवार उतारा है, जबकि कांग्रेस ने पिछले चुनाव में खंडवा से प्रत्याशी उतारा था। यह सीट निमाड़ अंचल का केंद्र भी है, जिससे इसका राजनीतिक महत्व और भी बढ़ जाता है। यहां के मतदाता किसानी, सिंचाई और पर्यटन जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान देते हैं। खंडवा लोकसभा सीट का यह सीधा गणित और जातीय समीकरण इसे एक रोचक और प्रतिस्पर्धी चुनावी क्षेत्र बनाते हैं।
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