दिल्ली कूच को तैयार किसान
-कंक्रीट बैरिकेड्स तोडऩे वाली मशीनें लेकर शंभू बॉर्डर पहुंचे किसान, आंसू गैस के गोलों का असर नहीं, बुलेटप्रूफ भी
अंबाला
शंभू बॉर्डर पर धरना दे रहे पंजाब के किसान बुधवार को दिल्ली रवाना होंगे। जिसके लिए किसान जेसीबी और हाईड्रोलिक क्रेन जैसी हैवी मशीनरी लेकर पहुंच गए हैं। किसानों ने यह फैसला केंद्र के साथ हुई मीटिंग के बाद लिया। केंद्र ने कपास, मक्का, मसूर, अरहर और उड़द यानी 5 फसलों पर एमएसपी देने का प्रस्ताव दिया था। किसानों ने यह प्रस्ताव खारिज कर दिया। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि हमने एक्सपर्ट और किसानों से केंद्र के प्रस्ताव पर बात की। इसके बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे कि प्रस्ताव हमारे हित में नहीं है। हमारी एमसीपी पर गारंटी कानून की मांग पूरी हो। एमएसपी देने के लिए 1.75 लाख करोड़ की जरूरत नहीं है। उधर जानकारों का कहना है कि 5 फसलों में एमएसपी से देशभर के किसानों का समाधान नहीं हो सकता। यह पंजाब आधारित प्रस्ताव है। ये चारों फसलें अभी भी लगभग एमएसपी या अधिक भाव में बिक रही हैं। मुद्दा यह है कि जो फसलें एमएसपी से नीचे बिक रही हैं, उन्हें एमएसपी पर खरीदा जाए।
जिन 23 फसलों पर पहले से एमएसपी लागू है, किसान उन्हीं फसलों पर स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर एमएसपी कानून बनाने की प्रमुख मांग कर रहे हैं। किसान ये नहीं चाहते कि उनकी पूरी फसल सिर्फ सरकार खरीदे, बल्कि किसान खुले बाजार में भी अपनी फसलों को बेचने पर न्यूनतम कीमत को लेकर गारंटी चाहते हैं। किसानों का कहना है कि एमएसपी के नीचे उनकी फसल को सरकार, प्राइवेट कंपनियां या पब्लिक सेक्टर की एजेंसियां कोई भी नहीं खरीद पाएं।
बुलेटप्रूफ मशीन भी लेकर पहुंचे
तरनतारन के किसान मेजर सिंह बॉर्डर पर पोकलेन मशीन लेकर पहुंचे हैं। उनका कहना है कि यह मशीन विशेष रूप से तैयार करवाई गई है। यह बुलेट प्रूफ मशीन है। इस पर किसी भी प्रकार की गोली का कोई असर नहीं होगा। बुधवार को दिल्ली कूच के समय बैरिकेड्स तोडऩे में सबसे आगे इसी मशीन को रखा जाएगा। इसके पीछे जेसीबी और ट्रैक्टर ट्रालियां रहेंगी। संयुक्त किसान मोर्चा के महत्वपूर्ण घटक दल रहे जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अविक साहा का कहना है, एसकेएम इस आंदोलन पर नजर रखे हुए है। मौजूदा समय में विभिन्न किसान संगठन, अपने-अपने स्तर पर आवाज उठा रहे हैं। गुरुवार को एसकेएम की जनरल बॉडी की बैठक, पंजाब में बुलाई गई है। इस बैठक में दक्षिण भारत के किसान संगठन भी पहुंचेंगे, लेकिन उनकी तादाद कम ही रहेगी। उत्तर भारत और खासतौर से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व राजस्थान के किसान संगठन, जनरल बॉडी की बैठक में पहुंचेंगे। बैठक में किसान आंदोलन 2.0 पर चर्चा होगी। अभी तक जो भी कुछ हुआ है, उसका मूल्याकंन होगा। एसकेएम की बैठक में किसान आंदोलन को लेकर आगामी रणनीति तय होगी। एसकेएम, मौजूदा आंदोलन में शामिल होगा या नहीं, बैठक के दौरान इस पर कोई अहम निर्णय लिया जा सकता है। केंद्र सरकार ने किसान संगठनों को 2021 में जो लिखित आश्वासन दिया था, उस पर काम नहीं कर रही।
अब तक दो हजार करोड़ का नुकसान
एमएसपी, कर्ज माफी एवं अन्य मांगों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन से जहां आम आदमी प्रभावित है। वहीं, पंजाब का उद्योग जगत भी इसकी तपिश से झुलस रहा है। उद्यमियों का दावा है कि आंदोलन के कारण एक तरफ कच्चे माल की सप्लाई चेन प्रभावित हो रही है, वहीं दूसरे राज्यों से खरीदार भी पंजाब का रुख नहीं कर रहे हैं। नतीजतन नए ऑर्डर मिलने में भी दिक्कत आ रही है और पहले से लिए ऑर्डर भी कैंसिल हो रहे हैं। इस आंदोलन के चलते उद्योगों को अब तक दो हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान उद्यमी लगा रहे हैं। इसके अलावा माल भाड़े में भी दस फीसदी तक का इजाफा देखा जा रहा है। उधर, चालू वित्त वर्ष खत्म होने की कगार पर है, ऐसे में उद्यमियों के लिए निर्यात टारगेट को पूरा करना भी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। उद्यमियों का मानना है कि यदि आंदोलन लंबा चलता है, तो सूबे की इंडस्ट्री बेपटरी हो सकती है। उद्यमियों ने सरकार से भी गुहार लगाई है कि आंदोलन को खत्म कराने के लिए ठोस उपाय किए जाएं। पंजाब की आर्थिक राजधानी लुधियाना माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज का गढ़ है। यहां पर एक लाख से अधिक छोटी बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं। लुधियाना में प्रमुख तौर पर हौजरी, टेक्सटाइल एवं इंजीनियरिंग उद्योग का दबदबा है। इंजीनियरिंग में सेकेंडरी स्टील निर्माता, साइकिल एवं साइकिल पाट्र्स, हैंड टूल्स, मशीन टूल्स, सिलाई मशीन, फास्टनर, ऑटो पाट्र्स, डीजल इंजन पाट्र्स इत्यादि प्रमुख हैं। होजरी टेक्सटाइल में रेडीमेड गारमेंट्स, स्पीनिंग, डाइंग, निटिंग इत्यादि हैं। हौजरी उद्योग में सालाना 17 हजार करोड़ का कारोबार हो रहा है, जबकि साइकिल उद्योग में कारोबार करीब दस हजार करोड़ है। इसके अलावा ऑटो पाट्र्स में आठ से दस हजार करोड़ का कारोबार है।
एमएसपी मिलने से किसान बजट पर बोझ नहीं: राहुल
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी मिलने से देश का किसान बजट पर बोझ नहीं, बल्कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का सूत्रधार बनेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह झूठ बोला जा रहा है कि बजट के मद्देनजर एमएसपी की कानूनी गारंटी दे पाना संभव नहीं है। हाल ही में कांग्रेस ने वादा किया कि अगर 2024 में इंडिया गठबंधन केंद्र की सत्ता में आता है तो किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी दी जाएगी। राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट किया, जब से कांग्रेस ने एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का संकल्प लिया है, तब से मोदी के प्रचारतंत्र और मित्र मीडिया ने एमएसपी पर झूठ की झड़ी लगा दी है। उनके मुताबिक यह झूठ बोला जा रहा है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी दे पाना भारत सरकार के बजट में संभव नहीं है। उन्होंने कहा, सच यह है कि क्रिसिल के अनुसार 2022-23 में किसान को एमएसपी देने में सरकार पर 21,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार आता, जो कुल बजट का मात्र 0.4 प्रतिशत है।
जीडीपी वृद्धि का सूत्रधार बनेगा किसान
राहुल गांधी ने सवाल किया, जिस देश में 14 लाख करोड़ रुपये के बैंक ऋण माफ कर दिए गए हों, 1.8 लाख करोड़ रुपये कॉर्पोरेट कर में छूट दी गई हो, वहां किसान पर थोड़ा सा खर्च भी इनकी आंखों को क्यों खटक रहा है? राहुल गांधी ने कहा कि एमएसपी की गारंटी से कृषि में निवेश बढ़ेगा, ग्रामीण भारत में मांग बढ़ेगी और किसान को अलग अलग किस्म की फसलें उगाने का भरोसा भी मिलेगा, जो देश की समृद्धि की गारंटी है। उन्होंने कहा, जो एमएसपी पर भ्रम फैला रहे हैं, वो डॉ. स्वामीनाथन और उनके सपनों का अपमान कर रहे हैं। एमएसपी की गारंटी से भारत का किसान, बजट पर बोझ नहीं, जीडीपी वृद्धि का सूत्रधार बनेगा।