प्रदेश सरकार ने एनपीएस (nps) में बदलाव कर कर्मचारी के सेवा मुक्त होने, सजा याफ्ता होने या निलंबित होने पर भी एनपीएस का लाभ देने का निर्णय लिया है। यह निर्णय प्रदेश की 5.50 लाख एनपीएस धारक कर्मचारियों पर लागू किया गया है। एनपीएस धारक कर्मचारियों को एनपीएस में बदलाव नहीं बल्कि पुरानी पेंशन योजना यानी ओपीएस का लाभ चाहिए। पीएम मोदी की गारंटी के जैसी पेंशन की गारंटी चाहिए लेकिन सरकार ने कर्मचारियों की लंबे समय से की जा रही ओपीएस लागू करने की मांग को मंजूर नहीं किया है बल्कि एनपीएस में ही बदलाव कर दिया है। इस कारण कर्मचारियों में निराशा का वातावरण एवं असंतोष व्याप्त हो गया है। मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि मध्य प्रदेश सरकार एनपीएस में बदलाव करने के स्थान पर प्रदेश के एनपीएस धारक 5 .50 लाख कर्मचारियों के लिए ओपीएस लागू करने का निर्णय अति शीघ्र लेने का काम करें जो कर्मचारी हित में होगा अन्यथा प्रदेश का कर्मचारी आंदोलन के रास्ते पर चला जाएगा।
मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि राज्य सरकार एनपीएस के माध्यम से कर्मचारियों को सजा याफ्ता होने, बर्खास्त होने, निलंबित होने पर भी एनपीएस का लाभ देने का निर्णय तो ले रही है लेकिन प्रदेश के साढे 5.50 लाख एनपीएस धारक कर्मचारियों को कर्मचारी हितेषी पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने का निर्णय नहीं ले रही है। यह मांग एनपीएस धारक कर्मचारी पिछले 10 वर्षों से निरंतर राज्य सरकार से कर रहे हैं। न्यू पेंशन योजना कर्मचारी विरोधी योजना है। पुरानी पेंशन योजना कर्मचारी हितेषी है और कर्मचारियों के बुढ़ापे का सहारा है। एनपीएस में कर्मचारियों को पेंशन की कोई गारंटी नहीं है जबकि ओपीएस में कर्मचारियों को पेंशन की गारंटी है। पुरानी पेंशन योजना कर्मचारियों का संवैधानिक अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय भी पुरानी पेंशन योजना को कर्मचारियों के लिए लागू करने के पक्ष में फैसला दे चुका है। फिर भी राज्य सरकार पुरानी पेंशन योजना करने में आनाकानी कर रही है। प्रदेश के 5.50 लाख एनपीएस धारक कर्मचारियों ने निर्णय लिया है कि यदि सरकार ने शीघ्र ही पुरानी पेंशन योजना करने का निर्णय नहीं लिया तो एनपीएस धारक कर्मचारी सरकारी कार्यालयों में विरोध प्रदर्शन करेगा।