गुजरात के अमूल की तर्ज पर मध्यप्रदेश के सांची का विस्तार किया जाएगा। इसके लिए सांची डेयरी प्लांटों को भी अपग्रेड किया जाएगा और प्रदेश में होने वाले दुग्ध उत्पादन और दूध से तैयार होने वाले उत्पादों का उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। इस संबंध में मप्र स्टेट डेयरी को-ऑपरेटिव फेडरेशन, गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन और राष्ट्रीय डेगरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के बीच उज्जैन में होने जा रही इन्वेस्टर्स समिट में एमओयू साइन होगा।
गौरतलब है कि इस साल जनवरी में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अहमदाबाद में मध्य प्रदेश के दूध उत्पादकों से दूध की खरीद सुनिश्चित करने एवं डेयरी किसानों को दूध की सही कीमत दिलाने में मदद करने के लिए, सांची एवं अमूल की संयुक्त सहभागिता की सम्भावनाओं पर विचार करने हेतु विस्तृत बैठक में भाग लिया था। बैठक में मुख्यमंत्री ने दूध उत्पादकों के हित में एवं सहकारिता प्रणाली को सुदृढ़ करने हेतु संकलन, गुणवत्ता नियंत्रण, प्रसंस्करण, विपणन आदि के सम्बंध में मध्य प्रदेश एवं गुजरात के सहकारी दुग्ध महासंघों एवं दुग्ध संघों की संयुक्त सहभागिता का रोडमैप तैयार करने के निर्देश दिए थे। दुग्ध उत्पादकों के हित में गुजरात और मध्य प्रदेश करेंगे संयुक्त रूप से कार्य करेंगे। मध्यप्रदेश के दूध उत्पादकों से दूध की खरीद सुनिश्चित करने एवं डेयरी किसानों को दूध की सही कीमत दिलाने में मदद करने के लिए सांची और अमूल की संयुक्त सहभागिता की सम्भावनाओं पर विचार करने करने के लिए यह बैठक आयोजित की गई थी। अब डॉ. मोहन यादव सरकार ने मप्र स्टेट डेयरी को-ऑपरेटिव फेडरेशन के ब्रांड सांची का बड़े स्तर पर प्रदेश में विस्तार करने की तैयारी शुरू कर दी है।
इन्वेस्टर्स समिट एक और दो जून को
सांची का विस्तार गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के ब्रांड अमूल की तर्ज पर किया जाएगा। इसके लिए गांवों में दुग्ध सहकारी समितियों की संख्या बढ़ाने, दूध खरीदी पर दूध उत्पादक किसानों को अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि देने समेत अन्य कार्य किए जाएंगे। इस संबंध में मप्र स्टेट डेयरी को-ऑपरेटिव फेडरेशन, गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन और राष्ट्रीय डेगरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के बीच उज्जैन में होने जा रही इन्वेस्टर्स समिट में एमओयू साइन होगा। इन्वेस्टर्स समिट एक और दो जून को उज्जैन में आयोजित की जाएगी। अमूल पांच सेक्टर्स में सांची का सहयोग करेगा। मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद से ही डॉ. मोहन यादव का फोकस प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने, अत्यधिक दूध की मात्रा को संकलित करने और दूध उत्पादकों को दूध के सही दाम देने पर है। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री डॉ. यादव पिछले महीने अहमदाबाद में गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के अधिकारियों के साथ बैठक कर चुके है। सूत्रों का कहना है कि गुजरात के मिल्क फेडरेशन के सहयोग से सांची ब्रांड को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के पास दो विकल्प थे। पहला, सांची ब्रांड को पूरी तरह से अमूल टेकओवर कर ले। दूध के संकलन से लेकर उत्पादों का निर्माण व उनकी बिक्री और प्रबंधन का काम अमूल संभाले। इसके बदले वह सरकार को एक निश्चित लाभांश दे। दूसरा, अमूल के मार्गदर्शन में सांची बांड का विस्तार किया जाए। अमूल बाहर में सांची की मदद करे, प्रबंधन में उसका कोई दखल नहीं होगा। मप्र के पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने कई दौर की चर्चा के बाद दुसरा विकल्प चुना। अमूल सिर्फ सांची का मार्गदर्शन करेगा, प्रबंधन आदि में उसका कोई दखल नहीं होगा। प्रमुख सचिव पशुपालन गुलशन बामरा का कहना है कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार इस दिशा में कार्रवाई की जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर निराश्रित गीवाश के संरक्षण को लेकर कार्ययोजना बनाने के लिए पशुजलन विभाग नं 25 फरवरी को कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में कार्यशाला आयोजित करने की तैयारी कर ली थी, लेकिन इस दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भोपाल दौरे के मद्देनजर कार्यशाला की तारीख आगे बढ़ा दी गई है। अब यह कार्यशाला 6 मार्च को आयोजित की जाएगी।
पांच सेक्टर्स में सहयोग करेगा अमूल
मप्र स्टेट डेयरी को-ऑपरेटिव फेडरेशन सबसे पहले दूध के संकलन के लिए गांव-गांव में दुग्ध सहकारी समितियों का गठन करेगा। इनका गठन गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन की मदद से किया जाएगा। वर्तमान में प्रदेश में 10 हजार दुग्ध सहकारी समितियां हैं, जिनकी संख्या बढ़ाकर 25 हजार की जाएगी। एक समिति के गठन पर करीब 4 लाख रुपए खर्च होंगे। दूध संकलन से लेकर अन्य उत्पादों के निर्माण तक गुणवत्ता पर पूरा फोकस किया जाएगा। गुणवत्ता नियंत्रण के लिए अमूल की तरह मानक निर्धारित किए जाएंगे। दुग्ध संघ के कर्मचारियों की नियुक्ति और क्षमता निर्माण गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के सहयोग से किया जाएगा। मप्र स्टेट डेयरी को-ऑपरेटिव फेडरेशन के चुनाव प्रक्रिया का सुदृढ़ीकरण किया जाएगा। गुजरात में प्रदेश से लेकर जिला स्तर पर फेडरेशन के निर्धारित समय पर चुनाव होते हैं। जबकि मप्र में फेडरेशन के चुनाव नहीं कराए जाते । प्रशासनिक अधिकारियों को ही फेडरेशन में प्रशासक बनाकर बैठा दिया जाता है। दुग्ध सहकारी समिति स्तर से दुग्ध विक्रय तक की समस्त गतिविधियों का कम्प्यूटरीकरण किया जाएगा।